श्री यमुनाष्टक (संस्कृत)

नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदामुरारि पद पंकज स्फ़ुरदमन्द रेणुत्कटाम । तटस्थ नव कानन प्रकटमोद पुष्पाम्बुनासुरासुरसुपूजित स्मरपितुः श्रियं बिभ्रतीम ॥१॥ कलिन्द गिरि मस्तके पतदमन्दपूरोज्ज्वलाविलासगमनोल्लसत्प्रकटगण्ड्शैलोन्न्ता । सघोषगति दन्तुरा समधिरूढदोलोत्तमामुकुन्दरतिवर्द्धिनी जयति पद्मबन्धोः…

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बिल्वाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् (संस्कृत)

अथ बिल्वाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥   त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् ।त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ १॥ त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।तव पूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ २॥ सर्वत्रैलोक्यकर्तारं सर्वत्रैलोक्यपालनम् ।सर्वत्रैलोक्यहर्तारं…

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श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम् (संस्कृत)

॥ श्रीतुलसीषोडशकनामस्तोत्रं नामावलिश्च ॥   तुलसी श्रीमहालक्ष्मीः विद्याऽविद्या यशस्विनी ।धर्म्या धर्मावनासक्ता पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥ लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयेन्नरः ।लभते सुतरां भक्तिं अन्ते विष्णुपदं लभेत् ॥ तुलस्यै…

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शंख पूजन मन्त्र (संस्कृत)

शंख को पूजा कार्य मे सम्लित करने हेतु, निम्न लिखित मंत्र का जप करना चाहिए। त्वंपुरा सागरोत्पन्न विष्णुनाविघृतःकरे ।देवैश्चपूजितः सर्वथौपाच्चजन्यमनोस्तुते ॥     सरल भाव: त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत:…

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श्रील प्रभुपाद प्रणति (संस्कृत)

नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतलेश्रीमते भक्तिवेदांत-स्वामिन् इति नामिने । नमस्ते सारस्वते देवे गौर-वाणी-प्रचारिणेनिर्विशेष-शून्यवादि-पाश्चात्य-देश-तारिणे ॥  

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बृहस्पति स्तोत्र (संस्कृत)

पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी,चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: ।दधाति दण्डं च कमण्डलुं च,तथाक्षसूत्रं वरदोsस्तु मह्यम ॥1॥ नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नम: ।नमस्त्वनन्तसामर्थ्यं देवासिद्धान्तपारग ॥2॥ सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीडाहराय च ।नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते…

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स्वस्ति / स्वस्तिक मंत्र (संस्कृत) हिंदी अर्थ सहित

स्वस्ति मन्त्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है। स्वस्ति = सु + अस्ति = कल्याण हो। ऐसा माना जाता है कि इससे हृदय और मन मिल जाते हैं।…

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श्री यमुनाष्टक (संस्कृत)

नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदामुरारि पद पंकज स्फ़ुरदमन्द रेणुत्कटाम । तटस्थ नव कानन प्रकटमोद पुष्पाम्बुनासुरासुरसुपूजित स्मरपितुः श्रियं बिभ्रतीम ॥१॥ कलिन्द गिरि मस्तके पतदमन्दपूरोज्ज्वलाविलासगमनोल्लसत्प्रकटगण्ड्शैलोन्न्ता । सघोषगति दन्तुरा समधिरूढदोलोत्तमामुकुन्दरतिवर्द्धिनी जयति पद्मबन्धोः…

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नाम रामायणम (संस्कृत)

गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस, उत्तर भारत में अधिक प्रसिद्ध है। गोस्वामी तुलसीदासजी कृत संपूर्ण रामायण का पाठ करने में कुछ दिन का समय लग सकता है। और कई…

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